संदेश

हिंदी के बढ़ते कदम : नाटिका

                   लोक की भनभनाहट                    दृश्य-1 ( पर्दे के पीछे से समूह गान गूँजता है. ) आओ प्यारे आओ, यह देश हमारा और तुम्हारा आओ प्यारे आओ, गाँधीजी ने लाई आजादी लोकतंत्र है इसकी ज़ान, आओ प्यारे आओ स्वतंत्रता के नवयुग में, आओ करे पदार्पण जन-जन का कल्याण हो सबको मिले अजादी राष्ट्रप्रगति तब होगी, जब सभी बने सहभागी आओ प्यारे आओ, जन-जन को मिले आजादी ( पाँच लोग मंच पर बारी बारी से अपना परिचय देते हैं.) विनायक गाँवकर: मेरा गाँव यहाँ से 60 किलोमीटर दूर सांगेय तालुका में पड़ता है. कोंकणी मेरी   मातृभाष है, हिंदी बिना पढ़े ही सीखी, अंग्रेजी का करता हूँ रट्टा, फिर भी नही हो पाया पक्का, इसी लिए खाता हूँ धक्का बताओ अब क्या करें ? जार्ज एंटनी: हेल्लो! कालिकट इज़ माइ बर्थ प्लेस, मलयालम इज़ माइ नेटिव लैंग्वेज़ बट आल आर   रबिस़, वनली इंग्लिस इज़ इंपोर्टेंट फॉर अस, बिकॉज़ इट्स गिव्स ज़ॉब आल ओवर द       वर्ल्ड. एज़ आल यू न्वो मैक्सिम लेबर प्रॉवाइड टू ग़ल्फ बाइ अस. दीक्षिता मराठे: माझे घर कोल्हापूर मध्ये आहे. मराठी भाषेशी मला प्रेम आहे, परंतु तेवढाच प्रेम हिंदी भाषेशी आहे. क्योंकि हिंदी

जरुरत

कभी कभी आत्मा को इतना दर्द होता है उसको बया करना खुद पे शर्म  होता है, वो हमें सिखाते आधुनिकता की शैली, जिसमें होता है जिस्म बेच कर जीने की कला अपनी ही जनता को चूना लगाने की कला एक इंच जमीन बढा न सके, पर आजदी के नाम पर बेच देने की कला  वे पढ़वाते हैं आत्महीनता का पाठ जिसमें होता है नौकरी पाने की कला बडे बडे आईआईटी और आईआईएम खोलो गए हैं, शायद वहाँ सिखाया जाता है .... देश को खाजाने की सबसे अच्छी कला क्यों नहीं आजतक निकला इन श्रेष्ठ संस्थानों में कोई ऐसा जो समझा हो इस देश की आवश्यकता ???   Publish Post

यह देश किसका है?

बहुत दिनों के बाद आज कुछ लिखने का मन मरोड़ रहा है - पश्चिम बंगाल के रेल दुर्घटना ने मानो दिल को बहुत चोट पहुँचाई. जिस प्रकार हमारे देश में प्रशासनिक दुर्व्यवस्था है , शायद वैसा संसार में कहीं नहीं. एक ओर यह देश उन लोगों के हितों की रक्षा करता है जो पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त किए हैं या उसके पोशक हैं. दूसरी ओर इस देश के आम नागरिक   जिन्हें वास्तव में सहायता और संरक्षा की आवश्यकता है , उसे कुछ नहीं मिल रहा है. एक उदाहरण   देखें- इस देश की व्यवस्था में उस विद्यार्थी को स्कालरशीप प्राप्त होती है जिसके पास पाँच-छे लाख रूपये खर्च करने की क्षमता है , अंग्रेजी का भर पूर ज्ञान है तथा बोर्ड-परीक्षा में अच्छा खा़सा मार्क है. ज़रा सोचिए यह योग्याता प्राप्त   व्यक्ति क्या सहायता या संरक्षा का अधिकारी है ? या फिर-वे विद्यार्थी जिनके पालक पढ़े लिखे नहीं हैं , अंग्रेजी बोलने का वातावरण ही ठीक से नहीं प्राप्त हुआ तथा अजागरूक परिवार और पृष्ठ भूमि होने की वज़ह से बहुत अच्छा-ख़ासा मार्क भी नहीं है ? क्या यह उस देश के नागरिकों के साथ अपमान नहीं है जहाँ की व्यवस्था पूरी तरह आम़ नागरिकों के विकास के विरुध हो.

कंप्यूटर और शिक्षा

भारत सरकार बहुत कोशिश कर रही है कि कैसे शिक्षा को जन जन तक पहुँचाया जाय. इसके लिए सबसे सरल उपाय यह है कि कंप्यूटर को मोबाइल जैसे सस्ता कर आम लोगों के पहुँच में लाया जाय और इंटरनेट सस्ता किया जाय जैसे सौ रूपय मासिक अन्लिमिटेड.

लोक-चेतना

दिखाई देता है अंकों, सनदों का व्यापार, स्कूलों और कालेजों में बिकता अध्यापक, पहुँच वालों का बोलबाला है, वही अंकों में सबसे आगे वाला है? यह सच नहीं बल्कि घोटाला है, फिर भी वही नौकरी पाने वाला है, कोई नहीं बोलने वाला है, सब जानते हैं वह घोटाला है, क्योंकि सबका मुहँ काला है.

राहुल गाँधी से कुछ प्रश्न ?????

प्र.1 आप आज कल उत्तर प्रदेश के दलितों से ही क्यों प्रेम दिखा रहें हैं? उत्तर: क्योंकि वहाँ मायावती एक दलित मुख्यमंत्री हैं और वे आप की वोट की दाल में बट्टा लगाने में सक्षम हैं. क्या वहाँ और जाति विरादर के लोग नहीं हैं? अन्य गरीबों के घर में भी जाइए और उनका भी हाल चाल पूछिए. वे भी आप को वोट देते हैं. पूरे देश के दलितों के घर जाइए केवल उत्तर प्रदेश के नहीं. यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप भी दोखे बाज़ नेताओं की ही श्रेणी में आएंगे. प्र.2 क्या आप जानते हैं हिन्दी भाषी जनता पूरे देश में क्यों पीछड़ी हुई है? उत्तर: क्योंकि भाषा विकास का मूल कारक है, देश के जिस भाग के लोग हिन्दी नहीं बोलते थे अथवा इसे अपने लिए खतरा मानते थे वे अंग्रेजी को अपनी मुख्य भाषा मान लिए हैं तथा देशा के अंग्रेजी पोषक व्यवस्था में सुव्यवस्थित पा रहे हैं. परंतु हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा-भाषी आज देश में दूसरे दर्ज़े के कार्य में लगे हैं क्यों? प्र.3 क्या आप बताएंगे ग्रामीण और शहरी गरीबों का विकास कैसे हो सकता है? उत्तर: हमारे देश की व्यवस्था पाश्चात्य व्यवस्था है यहाँ देशी लोगों के लिए कोई सम्मान का स्थान नहीं है. इसे दूर कर

हिन्दीवाला चला कम्प्यूटर खरीदने ??

हाँ, भाई आज हम भी निश्चित कर् लिए की अब कम्प्यूटर या लैपटॉप में से कोई एक अवश्य खरीदेंगे, आज तक सरकारी का प्रयोग कर के थोड़ा बहुत अब सीख लिए हैं, अब अपनी लुगाई का अनुमति लेना बाकी है क्यों कि बजट का सारा काम् वही देखती है चलो हिन्दी का आदमी चला कम्प्यूटर लेने वाह! क्या बात है! परंतु कौन सा लिया जाय? और कौन इंटर नेट कनेक्सन लिया ? जाय इस पर आप सब के अनुभव जानने की इच्छा है. ऐसा सुझाव दे की हिन्दी ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोनों चले. आशा है कि आप सब के उत्तम विचार अवश्य मिलेगा. आग्रिम धन्यवाद के साथ! आपका इस देश का जंतु