संदेश

नव वर्ष की बधाइयाँ

देश विदेश के दोस्तों को समर्पित हम भी जवां हैं, तुम भी जवां हो बच्चे हमारे, हमको हैं प्यारे जब चाहते हैं, वे आओ चलें समुंदर किनारे खेलेंगे, कूदेंगे करेंगे मस्ती हम भी तो देखें नववर्ष की हस्ती लाए यह नव रंग, नव रूप नव मंगल, जीवन में तुम्हारे स्वीकार करो दिल से नव वर्ष की बधाई. एक बार फिर से नये वर्ष की बधाइयां........
चित्र
                                   

लुटते ग्रामीण

प्रायः यह देखा जाता है कि दुनिया के अन्य देशों में शासन का नेतृत्व समाज और साहित्य की दिशा को आगे ले जाने वाला होता है. परंतु भारत में ऐसा नहीं है. देश का इस प्रकार से अंग्रजीकरण किया गया है कि देश का वह नागरिक जो अंग्रेजी की ताकत से कमजोर है वह कत्तई आगे नहीं बढ़ सकता यहां तक कि वह अपना रोज-मर्रा का कार्य भी सफलता पूर्वक संपन्न करने में असमर्थ होता है. वजह यही मुख्य है भारत में विशेष कर उत्तर भारत में गरीबी और भ्रष्टाचार, गुण्डावाद पनपने की. इसको तबतक नहीं खत्म किया जा सकता जबतक कानून, नियम, प्रक्रिया  आदि का साहित्य, मैनुअल, पारदर्शी और स्पष्ट रूप में आम जनता को उपलब्ध नहीं होता. मैंन देखा है उत्तर प्रदेश की बैंक किसानो को तबतक ऋण नहीं उपलब्ध नहीं करती जबतक की उनके फिल्ड आफिसर को मनमाना शेयर नहीं मिल जाता. बेचारा हक़दार दो तरह से लुटता है. पहला सीधे वह अधिकारी से बात नहीं कर पाता , यदि कोई कोशिश भी करता है तो अधिकारी उसे हड़का देता है और वह कानून, नियम न जानने के कारण ऑफिसर को मनाने के लिए मजबूर हो जाता है. अब इस काम के लिए उसे लोकल नेता की सहारा लेना पड़ता है जै दलाली करता है. उस

अभागों की इच्छा

हिंदी नाटिका: अभागों की इच्छा “ नवीन फलदेशाई और रोशन वेलिप दोनों एक ही गांव के हैं. पालोलिअम बीच के आस-पास, काणकोण, तालूका में इनका घर पड़ता है. दोनों बच्चे कत्यायनी बानेश्वर विद्यालय में एक साथ पड़ते हैं” (स्कूल की कक्षा-पाँच खाली है, उसमें नवीन और रोशन आपस में चिट्चाट कर रहे हैं) नवीन: अरे रोशन! देख मेरी नई किताबें कितनी अच्छी हैं, पापा कहते हैं कि “ इन किताबों के पढ़ने से     बच्चे सबसे तेज और बुद्धिमान बनते हैं. क्या तुम्हारे पास बुद्धिमान बनने की ऐसी किताबें हैं?” रोशन:   नहीं, मुझे ऐसी किताबों की कोई जरूरत नहीं है. मैं बुद्धिमान हूँ, ऐसी किताबे न मेरे पास हैं न  मुझे समझ में आती हैं. नवीन: ह्वाई यू डोंट वांट सच गुड बुक्स जो तुम्हें इंटेलिजेंट बनाती है. रोशन: मुझे समझ में आती नहीं ये किताबें. घर में भी कोई भी इसको  नहीं समझता. नवीन: ओ >> यार! क्यों नहीं समझता है? ये पुस्तकें बहुत सरल और सस्ती हैं. मुझे तो सब समझ में आती हैं. तुमको और तुम्हारे आई, काका को, क्यों समझ में नहीं आती. क्या वे  तुम्हारी तरह गधे हैं. रोशन:   देखो भाई माना की तुम बहुत तेज हो,

मिट्टी की अस्मिता

चित्र
नया सबेरा: कांटिनेंटल होटल काणकोण, गोवा              आज कल किसी का मेल तक आता नहीं लगता है मित्रों का अकाल सा पड़ गया है. हम याद करें तो लोग प्रत्युत्तर देते हैं वरना लगता है अपनों में ही खोए है क्या करें मंहगाई और अव्यवस्था हमें लूट लिया चापलूसों और चापलूसी की ही बाजार गरम है देश भक्ति और सच्चे सेवकों का काम नरम है जोड़ कर ले चलना हो गया पहाड़ तोड़ना नोचना देश और समाज को है बड़ा आसान शायद पिछली सदियों में भी पूरखों ने तोड़कर लूटते रहने का दिखाया है रास्ता इसलिए आज भी कुछ लोग सफलता से अपनाएं है उनका रास्ता क्या कहें बूरा या अच्छा  पर मन को कुछ नही भाता किंतु अब बन रही है एक आशा हिंदी पूरे भारत की बन चुकी है राष्ट्रभाषा संचार क्रांति ने फिर जगा दिया है आशा जूड़ा रहेगा देश और जोड़ती रहेगी भाषा आओ खुद ऊंचे उठें करे इसका प्रयोग जहाँ इसके ही बेटे डरते हैं छोटे होने के पाप से क्योंकि तकनीक और बाजार में हो रही है रानी इसके बच्चे गरीब और अशिक्षित है  अतः नहीं चढ़ा पा रहें है पानी परंतु सचमुच यह विश्व बाज़ार की बन रही है रानी. इसलिए ज्या

“हिंदी देश की स्वाभाविक संपर्क भाषा है”

        भारत देश के विकास के बारे में लोगों के अनेक विचार है. जितने लोग हैं सभी अपनी सुविधा के अनुसार देश को सुधारना चाहते है. इस देश का पढ़ा लिखा संपन्न वर्ग है, जो संपूर्ण देश में ऊंचे-ऊंचे पदों का स्वामी बना हुआ है. वह उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, गलत और सही हर के साथ खड़ा है. वह देश का की जनसंख्या का 10-12 प्रतिशत ही है. वह बहुत जागरूक है, उसे मालूम है उसका हित और स्वार्थ कहाँ है? वह स्वार्थ के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है. वह अपना रूतबा और रोब बनाए रखने के लिए हर गोरख-धंधे में संलिप्त है. विद्यालयों में दूसरों के बच्चों पर नियंत्रण रखने के लिए शक्ति करता है. खुद के बच्चों को नकल या अकल से अच्छा अंक दिलवाता है. अपने से बड़े या शक्तिशाली के लिए सब कुछ गलत करता है और उसे नियम व कानून से सही भी सिद्ध करता है. जिस पद पर है उस पद के उद्श्यों का कभी पालन नहीं करता. जब कोई आम आदमी हिम्मत कर के उससे सही, सच और मानवता की बात कहने की हिम्मत जुटाता है, तब वह कानून की व्याख्या अंग्रेजी में करके उसे धमकाता है. आम-आदमी को अंग्रेजी और कानून का ज्ञान नहीं होता है. इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आत

तू मेरी

उमा तुम कितनी प्यारी हो दिल में जीने की उमंग जो भरती हर रस पर तुम किताना भारी हो सब लोग समझते हैं जिसको रस वे सब कितने अज्ञानी हैं बेरस के पीछे दौड़ रहे रसवंती घर में बेगानी है धोओ पोछो साफ करो रसवंती घर की रानी है उजस श्रोत जल  का हो तुम घर बार सींच कर सुफल किया हर पल रस भरती रहती हो नदियों में धारा जैसी रहती खुद बहती हो घर सजती हो हम सब का संचार हो तुम तुम कोई और नहीं मेरे दिल का प्यार हो उमा तुम कितनी प्यारी हो अपने घर की रानी हो.                                      प्रेम 09/10/11 उमा तुम कितनी प्यारी हो दिल में जीने की उमंग जो भरती हर रस पर तुम किताना भारी हो सब लोग समझते हैं जिसको रस वे सब कितने अज्ञानी हैं बेरस के पीछे दौड़ रहे रसवंती घर में बेगानी है धोओ पोछो साफ करो रसवंती घर की रानी है उजस श्रोत जल  का हो तुम घर बार सींच कर सुफल किया हर पल रस भरती रहती हो नदियों में धारा जैसी रहती खुद बहती हो घर सजती हो हम सब का संचार हो तुम तुम कोई और नहीं मेरे दिल का प्यार हो उमा तुम क