अपने देश में विरोधी संघर्ष
अपने ही देश में सफलता के लिए करने पड़ते हैं विरोधी संघर्ष उन लोगों से जो अपने देश के लिए भलाई के काम करने के पदों पर बैठे हैं, पैदा होने के बाद, जब बच्चा बालवाड़ी जाना शुरू करता है सभी से शुरू हो जाता है संघर्ष पढ़ना, लिखना, सीखना आभाव में शिक्षक और किताब-कापियों के, विकट परिस्थितियों से अंजान खुश और मस्त जीवन की ललक लिए वह पढ़ता हुआ क्रमशः आगे की कक्षाओं में बढ़ता जाता है। शुरू होता है असली संघर्ष तब जब वह पहुंचता है अठवीं, नौवीं और दशवीं की कक्षाओं में, विद्यालय में अध्यापक नहीं, ठीक से कक्षाएं नहीं, आवश्यक उपकरणों का अभाव जो कुछ शिक्षण सामग्री होती है वह रहती हैं बंद एक ताले की निगरानी में कमरे के अंतर जैसे बालक अभावों में छटपटाता है, अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए विद्यालय में, मिलती है जहां उसे विरोधी परिस्थितियां जो वह संस्कार में अपने घरों से पाया रहता है उसके विपरीत की दुनिया।