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पेंटिंग करने वाला मजदूर बड़ी मुश्किल से नबोदय विद्यालय में मिलता है ? रूम हिंदी के लिए काणकोण में, पिछले दस वर्षों के इन्तजार के बाद मिला एक छोटा-सा रूम श्री एस. कन्नन के कारण खिल गया मन में गुलाब साल बाद बड़ी तमन्ना से बिल्डिंग पेंटिंग के साथ उसे भी पेंट कराया बिश्वास कर रूम की चाभी दे दिया मजदूर को, वह अच्छे से इसे पेंट कर देगा ! .....तीन दिन बाद किया, उसने पेंटिंग कुछ छूटा-छूटा- सा खो दिया चाभी बेचारा ! डर से तैयार था, बदलने के लिए ताला कहाँ उसे,   हुक से निकालने को केवल ताला कहाँ उसने दोपहर करेंगे, हो गई शाम, दूसरे दिन सुबह वही हालत पाया क्रोध आया, क्यों झूठ बोला ? क्या सभी वचनहीन हो गए ? दया करना, झूठ हो गया क्या मक्कारी ही यहाँ खून में है ? मन में सबक सिखाने का संकल्प किया नौ बजे दूसरे दिन वह आया और बोला- साहब ! लो अपनी क़ीय़ अन्तर्मन बोला, तुम कितना गलत सोचा ? अभी भी बाकी है----- ईमानदारी, सच्चाई, कथनी और करनी की गरिमा-- कुछ लोगों में.......????                (4.12.2012,काणकोण, गोवा-संकुयादव)