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विश्वविख्यात पहलवान नरसिंह यादव के साथ धोखा क्यों?

क्या थी उसकी गलती ? क्यों उसे डोपिंग में फंसाया? क्यों एक उभरते होनहार का, निर्दयता से गला दबाया। क्या उसने अपनी काबीलियत साबित कर दी तुमसे बेहतर क्यों उसके दुश्मनों ? देश के पुत्र को फंसाया। राष्ट्रकुल के अखाड़े में  स्वर्ण से भारत मां का मान बढ़या दक्षेस और एशियाई खेलों में भारत का नाम चमकाया। क्या बिगड़ा था, वह गरीब सामान्य परिवार से आया, क्यों तुम ईर्ष्या से भर गए? क्योंकि तुमसे ज्यादा वह भारत का नाम बढ़ाया। हर गली और गांव में बैठे हैं देश के जयचंद कितने होनहारो को नित्य नष्ट करते है क्योंकि उनसे डरते हैं? कहीं चूर न कर दे झूठी और दलाली की सेखी ए धरती पुत्र नरसिंह पहलवान।                                                 ------संतोष गोवन की ओर से नरसिंह को समर्पित

अपने देश में विरोधी संघर्ष

अपने ही देश में सफलता के लिए करने पड़ते हैं विरोधी संघर्ष उन लोगों से  जो अपने देश के लिए  भलाई के काम करने के पदों पर बैठे हैं, पैदा होने के बाद, जब बच्चा बालवाड़ी जाना शुरू करता है सभी से शुरू हो जाता है संघर्ष पढ़ना, लिखना, सीखना आभाव में शिक्षक और किताब-कापियों के, विकट परिस्थितियों से अंजान खुश और मस्त  जीवन की ललक लिए वह पढ़ता हुआ क्रमशः आगे की कक्षाओं में बढ़ता जाता है। शुरू होता है असली संघर्ष तब जब वह पहुंचता है  अठवीं, नौवीं और दशवीं की कक्षाओं में, विद्यालय में अध्यापक नहीं, ठीक से कक्षाएं नहीं, आवश्यक उपकरणों का अभाव जो कुछ शिक्षण सामग्री होती है वह रहती हैं बंद एक ताले की निगरानी में कमरे के अंतर जैसे बालक अभावों में छटपटाता है, अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए विद्यालय में, मिलती है जहां उसे विरोधी परिस्थितियां जो वह संस्कार में अपने घरों से पाया रहता है उसके विपरीत की दुनिया। 

मुझे कुछ महत्त्वपूर्ण लेख निकालने पड़े।

कहते हैं शोध का तात्पर्य नई खोज और नए तरीकों को अपनाना है किंतु नियमों को पूर्ण करने के लिए शोध के सिद्धांत से समझौता करना पड़ता है। आगे नहीं बोल सकता क्यों कि समझाना मुश्किल है.............................................................................................................. बड़े बड़े लोगों को।