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कहते हैं डर के आगे जीत है

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माता वैष्णव देवी के दर्शन करने के मार्ग पर लगभग पांच सौ मीटर से अधिक ऊंचाई पर बने इस घर के आस पास कैसे बकरी निडर हो कर घूम रही थी। जहां से नीचे देखने पर सामान्य आदमियों के पैर फिसल रहे थे। क्या उन लोगों से ज्यादा बहादूर नहीं है जो इसे मारते हैं या निरीह आदमियों की हत्या करते हैं। क्या भगवान , गॉड और अल्ला ने इस बकरी और उस आदमी दोनों को नहीं बनाया है। किंतु जब बकरी आदमी को नहीं मारती तो फिर आदमी क्यों बकरी को मारता है? सोचें अगर आप की कोई बकरी हत्या करती और कहती सर्वोच्च शक्ति की इच्छानुसार हो रहा है तो आप को कैसा लगता। अतः इस सुंदर ग्रह की सुंदरता की रक्षा करें और बर्बरता से सभ्यता की ओर बढ़े। यही इस बहदूर बकरी का संदेश है।
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श्रीनगर की यात्रा के दौरान काश्मीर की डल झील में शिकारा का आनंद लेते हुए मेरे परिवार के आधे सदस्य- काश्मीर भारत का अभिन्न अंग , इसका सौंदर्य भारत का सौंदर्य है, यहां जो असामान्य बात लगी वह यह की यहां स्थानीय औरते घरों में प्रायः बंद रहती हैं। काश! वे भी इसका अंग होतीं?