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अप्रैल, 2007 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आम जन की आवाज़

एक ओर देश भक्तों की कतार है एक ओर गद्दारों की जमात है एक ओर बाबा रामदेव है एक ओर अंग्रेजी सेवक बाबू एक ओर सर्वधर्म शादीवाले एक ओर हर प्रकार से बाटने वाले एक ओर ब्राहम्ण ही प्रतिभा का अधिष्ठाता बना है एक ओर अंग्रेजी है योग्यता और प्रतिभा का मापदण्ड एक ओर धन की तूती बोलती है, देवता विकते हैं एक ओर कालों में क्रीमी कालों की श्रेष्ठता किसी न किसी से श्रेष्ठता रखना फितरत बन गई है इस देश का क्या कहना मन में कपट बगल में राम-अल्लाह-ईसा रखना इस देश का क्या कहना राष्ट्रगान का अर्थ न जाना जन भाषा का विरोध करना अंग्रेजी की जूती सहना इस देश का क्या कहना सब धर्मों की बातें कहना जाति-पाति को आगे लाना चापलूसी गद्दारी करना हिन्दू बनना, ब्राहम्ण होना सही को सही कभी न कहना योग्यता का तमगा पहने रहना जन कल्याण की बातें आए उसमें रोड़ा बन कर अड़ना ब्राहम्ण होना, हिन्दू होना अंग्रेजी की पूजा करना अन्धविश्वास, भाग्यवाद,शोषण को तर्क से सही बताना न्यायधिश, वैज्ञानिक बनकर,घूस खना ऊँचा बन जाना इस देश का क्या कहना हे मूरख यह पहचानों जनता की प्रगति के लिए वैज्ञानिक दृष्टि आवश्यक है राष्ट्रभाषा में शिक्षा होना, विश्वभा