संदेश

अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अपने देश में विरोधी संघर्ष

अपने ही देश में सफलता के लिए करने पड़ते हैं विरोधी संघर्ष उन लोगों से  जो अपने देश के लिए  भलाई के काम करने के पदों पर बैठे हैं, पैदा होने के बाद, जब बच्चा बालवाड़ी जाना शुरू करता है सभी से शुरू हो जाता है संघर्ष पढ़ना, लिखना, सीखना आभाव में शिक्षक और किताब-कापियों के, विकट परिस्थितियों से अंजान खुश और मस्त  जीवन की ललक लिए वह पढ़ता हुआ क्रमशः आगे की कक्षाओं में बढ़ता जाता है। शुरू होता है असली संघर्ष तब जब वह पहुंचता है  अठवीं, नौवीं और दशवीं की कक्षाओं में, विद्यालय में अध्यापक नहीं, ठीक से कक्षाएं नहीं, आवश्यक उपकरणों का अभाव जो कुछ शिक्षण सामग्री होती है वह रहती हैं बंद एक ताले की निगरानी में कमरे के अंतर जैसे बालक अभावों में छटपटाता है, अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए विद्यालय में, मिलती है जहां उसे विरोधी परिस्थितियां जो वह संस्कार में अपने घरों से पाया रहता है उसके विपरीत की दुनिया। 

मुझे कुछ महत्त्वपूर्ण लेख निकालने पड़े।

कहते हैं शोध का तात्पर्य नई खोज और नए तरीकों को अपनाना है किंतु नियमों को पूर्ण करने के लिए शोध के सिद्धांत से समझौता करना पड़ता है। आगे नहीं बोल सकता क्यों कि समझाना मुश्किल है.............................................................................................................. बड़े बड़े लोगों को।