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भारत की प्रगति चौगुना बढ़ सकती है?

भारत विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है और प्रत्येक क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी छवि सुधारी है। अधिकांश विद्वान इसे बहुत उत्साहजनक और उज्ज्वल भविष्य के रूप में देख रहे हैं। परंतु मुल्यांकन का तटस्थ मापदण्ड अपनाया जाय तो भारत की औसत प्रगति विश्व के अन्य देशों से की तुलना में कमतर है। यदि आप भारत को भिखमंगों और सपेरों की दृष्टि से देखने वाले में से हैं तो आप को लगेगी भारत ने बहुत प्रगति कर लिया है और प्रगति के गतिशील रथ पर सवार है। जबकि सच्चाई इसके विरुद्ध है। विश्व के किसी भी मानव विकास रिपोर्ट का अवलोकन करें तो पता चलता है भारत के साथ स्वतंत्र होने वाले देश इससे कई क्षेत्रों में बहुत आगे है। आखिर क्यों? आज भारत में सैनिक सेवा के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहें हैं क्यों? निम्नस्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है तो क्यों? देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में तीव्र वृद्धि हो रही है तो क्यों? पाश्चात्य शिक्षित (कथित आधुनिक शिक्षा/शिक्षित) उम्मीदवारों का अभाव क्यों? यदि उपर्युक्त प्रश्नों का समाधान खोजें तो हमें क्षैतिज और उर्ध्वाधर गहराई में उतर कर विश्लेषण करना होगा कि स्वतंत्रता के