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लोकतंत्र की भाषा

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हिंदी की भाषा भारत की गरीब, अर्धशिक्षित और कमजोर वर्गों के लिए बरदान साबित हो रही है। जब कोई उनसे विशेषकर अंग्रेजी या अन्य भाषा में बात कर के उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता हूं तो औसत भारतीय उससे हिंदी में बताने का आग्रह करता है और यदि कोई ऐसा मामला है जो वह उसे गर्व से पूछता है हिंदी में बताओं। मैं आप को एक दृष्टांत देता हूं-- मेरे साथ एक सहकर्मी मराठी महिला उत्तर कर्नाटक के एक विद्यालय में पीईटी-महिला (शारीरिक शिक्षा अध्यापक- महिला) का साक्षात्कार देने गई थी। बोर्ड ने उसे उपयुक्त  और योग्या पाया। किंतु अंतिम प्रश्न के रूप में उससे पूछा गया कि अधिकांश बच्चे      कन्नड़ भाषी होंगे, उनको कैसे सीखाएंगी। उस महिला ने तुरंत उत्तर दिया हिंदी में, क्योंकि हिंदी लभगभग सभी बच्चे थोड़ा बहुत समझते हैं। एक बोर्ड का सदस्य पूछा क्यों नहीं अंग्रेजी में ? उनका उत्तर था, अंग्रेजी से ज्यादा कन्नड़ के नजदीक हिंदी है। अतः महिला का उस अंग्रेजी माध्यम के ग्रामीण विद्यालय में चयन उनकी वेबाकी के कारण हो पाया। इस पूरे प्रसंग में एक भी हिंदी भाषी व्यक्ति नहीं चयन प्रक्रिया में नहीं था। मैंने हिंदी की वास्