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केदारनाथ अग्रवाल : वकालत की डिग्री से सेवानिवृत्ति तक (1938 से 1971)

 दोस्तों केदारनाथ अग्रवाल के व्यक्तित्व का दूसरा चरण प्रस्तुत है- द्वितीय सोपान : व काल त की डिग्री से सेवानिवृत्ति तक (1938 से 197 1 )        केदारनाथ अग्रवाल इलाहाबाद में स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात कानून की पढ़ाई करनी चाही , इसके लिए वे कानपुर आए और यहीं पर वे जीवन की वास्तविकता से परिचित हुए। 1935 ई. में वे डी.ए.वी. कालेज कानपुर में विधि स्नातक शिक्षा हेतु प्रवेश लिया और 1938 ई. में इसे पास किया। उनके जीवन को दिशा और स्व रूप कान पुर में विधि स्नातक की पढ़ायी कर ते समय प्राप्त हुई। केदार जी कहते हैं- ‘कानपुर में हमें जीवन देखने को मिला’। वास्तव में कानपुर में केदार जी का संपर्क कवि बालकृष्ण बल्दुआ से हुआ। बल्दुआ के इर्दगिर्द प्रगतिशील विचार ों और साहित्यिक संस्कारों का माहौल था। यहीं पर उनका परिचय मजदूरों के जीवन से , उनकी समस्याओं से , उनकी पीड़ित , दमित जिंदगी से होता है। यहीं पर मार्क्स की विचार धारा का केदार गहराई से अध्ययन करते है। केदार बल्दुआ की एक अच्छे आदमी के रूप में प्रशंसा करते हैं , उनसे किताबें और अन्य मार्क्सीय विचार धारा से संबंधि