यह देश किसका है?

बहुत दिनों के बाद आज कुछ लिखने का मन मरोड़ रहा है - पश्चिम बंगाल के रेल दुर्घटना ने मानो दिल को बहुत चोट पहुँचाई. जिस प्रकार हमारे देश में प्रशासनिक दुर्व्यवस्था है, शायद वैसा संसार में कहीं नहीं. एक ओर यह देश उन लोगों के हितों की रक्षा करता है जो पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त किए हैं या उसके पोशक हैं. दूसरी ओर इस देश के आम नागरिक  जिन्हें वास्तव में सहायता और संरक्षा की आवश्यकता है, उसे कुछ नहीं मिल रहा है. एक उदाहरण  देखें- इस देश की व्यवस्था में उस विद्यार्थी को स्कालरशीप प्राप्त होती है जिसके पास पाँच-छे लाख रूपये खर्च करने की क्षमता है, अंग्रेजी का भर पूर ज्ञान है तथा बोर्ड-परीक्षा में अच्छा खा़सा मार्क है. ज़रा सोचिए यह योग्याता प्राप्त  व्यक्ति क्या सहायता या संरक्षा का अधिकारी है? या फिर-वे विद्यार्थी जिनके पालक पढ़े लिखे नहीं हैं, अंग्रेजी बोलने का वातावरण ही ठीक से नहीं प्राप्त हुआ तथा अजागरूक परिवार और पृष्ठ भूमि होने की वज़ह से बहुत अच्छा-ख़ासा मार्क भी नहीं है? क्या यह उस देश के नागरिकों के साथ अपमान नहीं है जहाँ की व्यवस्था पूरी तरह आम़ नागरिकों के विकास के विरुध हो. 

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