बोर्डिंग स्कूल का पहला दिन
आज मेरा पहला दिन है। मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मैं न केवल अपने सपने को सफल होता देख रही हूँ। बल्कि आज मैं अपने पापा की नजर में एक होनहार और सबसे अच्छी बेटी बन गई हूँ। मुझे नवो दय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास करने की उतनी खुशी नहीं है जितनी की मेरे परिवार को है। शायद मेरे पालकों को मेरी सफलता में ही खुशी मिलती है। छोड़ो...... इन ... बातों को.......। ऐसा ही मैं सोच रही थी जब नवोदय विद्याल में पढ़ने हेतु पहली बार आई थी। स भी छः में आए लड़के लड़कियाँ रो रहे थे किंतु मुझे ज्यादा गम नहीं था। रात को सदना ध्यापिका ने हम सभी छठवीं के लड़कियों को बेड दिए और सदन में रहने के नियम- कानू न बताए। बहुत अच्छी थीं मैडम। सभी बच्चों की बातें बहुत प्यार से सुनतीं और तुरंत हमारी कोई भी उठी जिज्ञासा शांत कर देतीं, हमारी परेशानी का समाधान कर देतीं। सदनाध्यापिका ने कहा- पढ़ाई मजे से करो, खेलने में मजे करो, रहने में मजा करो, खुब मजा करो! पर ध्यान रहे, नियमों का पालन करना और दूसरों को कष्ट मत देना। अंजली बोली बस! इतना ही, मैंने सुना था बहुत कठिन होता है हॉस्टलों