कितना कोशिश कितना पानी

दोस्तों ब्लोग बनाने के लिए हमने कितनी कोशिश किया परंतु अभी भी सफलता नही मिल रही है.

तुम कितनी हसिन है
यह केवल मैं जनता हूँ,
लाख भाग ले हमसे,
हम तेरा साथ न छोड़ेगे,
लोग चाहते हैं पीना सूरूरी नशीली आंखें,
नही देख पाते सौम्य शीतन चितवन
कह दो उनसे तुम रोते हुए हँसता रह,
हमें तो सवन की बहार मिल गई है.

टिप्पणियाँ

  1. अरे लिखना तो शुरू कर दिया आपने, ऐसा क्यों कह रहें हैं। अपनी मुश्किलों के हल के लिये कृपया यहां भी देखें।

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  2. श्रीमान उन्मुक्त जी ,
    यह हमारा आरम्भिक प्रयास है किसी तरह हिन्दी लिखने की तकनीक को संस्थापित करने में सफल हुआ. क्योंकि कम्पुटर पर हिन्दी अनुप्रयोग का ज्ञान प्राय: लोगों को नही है, आप जैसे हिन्दी भाषा सेवकों के रहते हमारा उत्साह पुन: बढ़ रहा है कि हम अकेले है नहीं, राह में औरों कि बाहें सहारे के लिए. कृपया अपनापन और आशीर्वाद हमेशा देते रहें .

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