बचपन के सपने

ये बचपन भी गजब होता है, बड़ी छोटी छोटी यादें हैं उसकी, जो दिल के किसी कोने में आज इस उम्र में भी समाई हुई हैं। लगता ऐसे था मनो परियों की कहानी सच्ची हैं, परियों के लोक निधि में का खूब मन होता था सोचता था बड़ा होने पर उन परियो जैसा उनकी लोक में सुख से रंग बिरंगी दुनिया में जिएंगे। तितलियों की दुनिया रंगों से भरी होती थी, पीली वाली तितली बहुत मन को भाती थी; पीले रंग मुझे बचपन से ही बहुत प्यारा लगता था शायद घर में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की वजह से निकली पीतांबर धारी भी कहा जाता है और उनकी ऊपर सदैव पीतांबर इस तरह चमकता है कि मानो पूरा का पूरा कमरा सुनहरा हो गया। बचपन से सुनहरे से जुड़ाव के साथ पीले मुझे भा बेहद पसंद है। पीली तितलियों के अतिरिक्त नीली, काली, लाल, गुलाबी न जाने कितने रन की तितली होती थी। मेरे गेहूं के खेत में मटर के पौधे फैले हुए होते थे अतिथियों की तरह उसमें भी रंग बिरंगे फूल लगे होते थे, नीला फूल देखने में प्यारा होता था। मन कहता था कि नील गगन में उसको लेकर सैर करें। वह बचपन की नाजुक दुनिया और नाजुक नाजुक सपने सजाए हुए कब हम बड़े हो गए पता ही नहीं चला। धीरे धीरे स्कूल का भोझ, पढ़ने-सीखने का दबाव और उसका आनंद।
नई दुनिया जिसमें आगे बढ़ने और कुछ पाने की धीरे-धीरे ललग जगने लगी और आज जरूर एक अच्छे मुकाम पर हम पहुंच चुके हैं। किंतु पीछे मुड़कर जब देखता हूं , तो पता चलता है कब बचपन तिरोहित हो कर खत्म हो गया और कब सुनहरे सपनों की दुनिया बेजान होकर रेगिस्तान बन गई। जिस दुनिया को सजाने के लिए हम बड़े हो गए थे जो अपने सपनों की दुनिया थी , जिसे पाने के लिए हमने मेहनत की और उसमें रंग भरने लायक बनने की कोशिश की। वह सपनों की दुनिया और सपने दोनों अपने से दूर हो गए हैं बच गया है तो दिन प्रतिदिन का झंझट और इस महंगाई और गला काट प्रतियोगिता की दुनिया में अपनी वजूद को बचाए रखने का संघर्ष। न सपने हैं न सुनहरे हैं बस सब भुरभुरी और भूरे हो गए हैं। सोचा नहीं था कैसी दुनिया होगी जो हमारे सपनों से अलग हो गए कभी हमने ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश भी नहीं की लेकिन है कि अपने ही रंग के लय में बहती है। हमें भी उसके साथ रहना पड़ता है संघर्ष करना पड़ता है और जीना पड़ता है। ऐसे तो नहीं थे मेरे बचपन के अनोखे सपने , कब जिएंगे हम अपने बचपन के अनोखे सपनों के लिए, शायद कभी नहीं, इस मरणशील दुनिया में क्या अनोखे सपने भी मर जाते हैं, 










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