नरसिंह यादव VS सुशील कुमार : सुशील कुमार हत्या के मामले में गिरफ्तार

#नरसिंह यादव vs #सुशील कुमार

एक ही वेट वर्ग में रियो ओलंपिक जाने के लिए नरसिंह यादव बनाम सुशील कुमार वाला मामला था,, नरसिंह क्वालिफ़ाई कर चुका था... अगर वह अपना नाम वापस लेता तो ही सुशील कुमार ओलंपिक जा पाता...

सुशील कुमार की तरफ ताकत थी, उसके ससुर महाबली सतपाल थे, नॉर्थ की मजबूत रेसलिंग लॉबी का पोस्टर ब्वॉय था सुशील कुमार.

महाराष्ट्र के नये लड़के नरसिंह यादव ने दुस्साहस कर लिया इन सबको चुनौती देकर, वह पैसै के लालच और धमकी किसी भी चीज के आगे नहीं झुका.... फिर हरियाणा के ट्रेनिंग कैंप में प्रेक्टिस के दौरान रहस्यमयी तरीके से कुछ ही दिनों बाद वह डोप में फंस गया,, उसने रो रोकर कहा कि मुझे फसाया गया है, परिवार रोया मीडिया के सामने.. IOA ने 4 साल का बैन लगाया.. प्रधानमंत्री मोदी से जांच की मांग की.. कि बैन हटवा दो सर, जांच करवा दो,,, लेकिन मोदी सरकार ने भी रफ़ा दफा का खेल खेला। जैसे बंगाल में खेला हो गया, बिहार में भी खेला हुआ। बंगाल में सत्तारूढ़ लोग भाजपा से धन-दौलत ऐंठने के बाद भी मन से ममता के साथ थे. बिहार में तेजस्वी की अभिमन्वीयता की हार्दिक प्रशंसा के बावजूद भी वह सत्तारूढ़ शक्ति विरोध में खड़ी थी. परिणाम जितने वाले को हरा दिया गया.

ठीक वैसे ही खेला नरसिंह यादव के साथ हुआ. यदि शासन न्याय देना चाहता तो बहुत सी बात थी.. रसोईये पर शक था,, फसाने की बात पर यकीन करने की वजह थी. किंतु नरसिंह ने कुश्ती की बड़ी ताकतवर लॉबी से टक्कर ली थी, इसकी जांच तो आगे नहीं बढ़ी कि किसने किया,, 

नरसिंह भी ओलंपिक नहीं जा पाया,, समय निकल चुका था तो सुशील कुमार भी अब एलिजेबल नहीं था जाने के लिए.

सारी जीतोड़ प्रेक्टिस, सारे सपने बिखर गये थे लेकिन
आज मुझे लगता है कि नरसिंह के साथ न्याय हुआ है. जो कोई नहीं कर सका वह कुदरत ने कर दिया. ऐसे ही तमाम स्पर्धाओं में योग्य व्यक्ति फर्जी मेरिट धारियों से हार जाता है. शायद यही कारण है कि गुलाम भारत में विश्व स्तर के कई वैज्ञानिक पैदा हुए, किंतु स्वतंत्र भारत में नहीं हो पाए. आगर कोई पैदा हुए तो फर्जी मेरिटधारी. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में प्राइमरी आदि स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां.

दोस्तों अगर आप को अपने देश को आगे बढ़ाना है तो सही योग्यता को आगे बढ़ने का अवसर दीजिए. कथित पैदाइशी विद्वान प्रोफेसरों से भरी हमारी युनिवर्सिटियां विश्व के 100 के नीचे की रैंकिंग में स्थान पाने के लिए तरसती है. 🙏


श्रोत: व्हाट्सएप दुनिया

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