मोहिनी

"मोहिनी”
वह बहुत सुंदर थी। आईसीआईसीआई बैंक के काउंटर पर पैसा जमा करती थी। पहले दिन उसने पैसा जमा करने में मेरी मदद की, मैं पहली बार आईसीआईसीआई बैंक में पैसा जमा करने गया था। मैं वहां पर कैश जमा करने की पर्ची खोज रहा था। उसने कहा पेपरलेस जमा होता है। मैंने उसको अपनी मोबाइल दे दी, बैंक एप को ऑन कर दिया और उसने एमाउंट पूछा और अपनी कोमल अंगुलियों से मोबाइल पकड़े हुए मेरे हाथों को स्पर्श करते हुए पेपरलेस की पर्ची भर दी। मैंने उसे 50000 का कैश दिया और तुरंत एक मिनट के अंदर वह हमारे अकाउंट में दिखने लगा।
अमाउंट जमा हो जाने के पश्चात ही मुझे उसके हाथों के कोमल स्पर्श की अनुभूति हुई। उसके पहले मेरे अंदर एक भय था कि कहीं वह अकाउंट से कोई छेड़छाड़ न कर दे। उसकी कोमल अनुभूतियां मेरे जेहन में कहीं न कहीं अपनी छाप छोड़ दी, किंतु मैं उसे अनुभूत नहीं कर पा रहा था। 
किंतु आज दूसरा हफ्ता था और मैं फिर लगभग 40,000 का अमाउंट जमा करने के लिए वहीं गया। किंतु आज काउंटर पर वह मुस्कुराता हुआ गोरा प्यारा चेहरा नहीं था। मुझे आज उस तरह से मुस्कुराते हुए स्वागत और सहायता करने वाली अनुभूति महसूस नहीं हुई।
मैंने कैश काउंटर पर बैठी हुई दूसरी लड़की से पूछकर पेपरलेस पर्ची भरी और अपने पैसे भी जमा किए। किंतु वह एहसास नहीं मिला जो पहले दिन मिला था। मेरी निगाहें और आत्मा पहले दिन के एहसास को खोजने लगीं। जैसे पहले दिन का एहसास आज कई गुना मुझे महसूस हो रहा था। मेरी निगाहें उसे खोज रहीं थी।

मैं वापस जैसे ही गेट से निकलने वाला था, पीछे से आवाज आई, सर पहचाना नहीं। मैं पीछे मुड़कर देखा वही सुंदरी की अनुभूति देने वाली खातून कुर्सी पर विराजमान थीं। शायद उनकी निगाहें भी मुझे महसूस कर रही थीं, इसीलिए उन्होंने हँसकर बड़ी मासूमियत से मुझसे शिकायत सा फिर पूछा कि सर आप पहचाने नहीं। मैंने उन्हेंं कहा सच में नहीं देखा, दिल ने कहा आप कहां थीं अभी तक? उन्हें देखकर जैसे वह पुराना एहसास पुनः ताजा हो गया। मेरे मन के कोने में कहीं यह भाव उठने लगा वही आएं फिर से मेरा कैश जमा करें और वही छुअन का एहसास दें।
वे कुर्सी से खड़ी हो गईं, मैं उन्हें न पहचान पाने की अपनी गलती महसूस कर रहा था और बड़े अदब से उन्हें प्रणाम किया और उनसे मुस्कुराते हुए कहा-"आज आप काउंटर पर क्यों नहीं हैं? "उन्होंने उत्तर दिया-"मैं लंच कर रही थी और आपको देखा तो यहां आ के बैठी।" मैंने उन्हें अपने हृदय के किसी कोने में बैठा हुआ महसूस किया और कहा-"आप बहुत अच्छी हैं आपका जैसा तन है वैसा ही मन है। आप के कारण मैं बार-बार यहां आना चाहूंगा।" वे मुस्कुराए ऐसा लगा जैसे दिन में चांद खिल गया हो और अपना नाम सना बताया। मैंने उनसे फिर मिलने का वादा करके चल दिया किंतु वह एहसास कार में बैठकर घर आने तक इतना ज्यादा था कि जैसे उस मोहिनी के पास फिर जाने के लिए मेरा दिल बेचैन हो रहा था।
सृजक : डॉ संतोष गोवन, दिनांक 1 मई 2021

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