गोवा का नाम आते ही लोगों के मन में एक ऐसे स्थान का बोध होता है जो विदेशी संस्कृति से अच्छादित, खुले विचारों से युक्त, सुरा और सुंदरियों से भरा, सुंदर संदर समुद्री तट वाला शहर है। किंतु यह बाह्य सोच गोवा इसके विपरीत प्राचीन भारतीय संस्कृति एक विशिष्ट केंद्र है। यहाँ जैसे मंदिरों की श्रेणियाँ देश के अन्य स्थानों पर कम ही देखने को मिलती है। सुंदर सुडौन मंदिर यहाँ के सांस्कृतिक गहराई को व्यक्त करते हैं। गोवा शब्द की व्युत्पत्ति: संप्रति मराठी-गोवा, कोंकणी- गोंय, अंग्रेजी- Goa (देवनागरी अनुवाद-गोअ/गोअा) कहते हैं। किंतु Goa/गोअ का कोई अर्थ नहीं होता है। चूंकि पुर्तगीज सपसे पहले अपनी बस्की की स्थापना वेल्हा गाँव (Velha Goa) में बनाया। इसी वेल्हा गाँव में से वेल्हा पीछे छूट गया। गाँव को पुर्तगालियों ने गॉअ (Goa) उच्चारण किया और इसका नाम धीरे धीरे पुर्तगालियों के कारण अंग्रेजी अभिलेखों में गोवा हो गया। इस प्रकार कई गलत उच्चारण के नाम आप गोवा में देख सकते हैं जैसे- केपे - केपेम्, काणकोण- कानाकोना आदि। कहने का अर्थ जैसा पुर्तगालियों को उच्चारण आया वैसा उन्हो