खामोशी को तोड़ना पड़ेगा ।
हम बहुत दिन से खामोश थे कि वे जो कर रहे हैं वह अच्छा ही होगा। परंतु वे इतने कमीने निकले की हमारे अहसास उड़ गए। कहते हैं हम ही सच्चे देश भक्त हैं और सबसे अच्चे हैं। पर करते हैं केवल स्वार्थ पर राजनीति, हमें कहते है दोशी। खुद केवल देखते हैं निज फायदा क्या है आप की तमन्ना। अब हम भी गए हैं जान नहीं बना सकते हमें मूर्ख। क्योंकि आप ने हमें बना दिया है चालाक। हम जानते थे सच्चे अर्थों में प्यार करना। मदद करना जान दे कर अपने देश और समाज के हित का। परंतु आप ने सीखा दिया, चोरी, चापलूशी और भोले-भालो को धोखा देना। अब हम अच्चे आप के सच्चे शिष्य आप को देंगे हर जगह मात । क्योंकि आप ने दिखाया है रस्ता स्वार्थ है सर्वोपरि। बाकि हैं सब निर्थक, आप कोई और नहीं: आप हैं शिक्षित, गुरूजन और अग्रजन।