प्रगतिशील कवि केदारनाथ अग्रवाल लोक संवेदना के कवि है। उनके रचनाओं के आधार पर यहां लेख दिए जा रहे हैं-
इनके जीवन के सभी पक्षों के साथ एक आदर्श दांपत्य जीवन भी जुड़ा है जिसे भारतीय संस्कृति की रीड़ माना जाता है। किंतु यहां लेख क्रमानुसार दिए जाएंगे-
व्यक्तित्व निर्माण :
रचनाकार के
व्यक्तित्व निर्माण
में उसके
परिवेशगत जीवन की महत्त्वपूर्ण भूमिका
होती है। क्योंकि
परिवेशगत अनुभव
संघटित हो कर उसके
मानस में जग-बोध की दृष्टि पैदा करते हैं। इस
दृष्टि से रचनाकार
के आचार-विचार, व्यवहार, सोच, चिन्तन, मनन और चरित्र का संघटन होता है,
जिसे हम व्यक्तित्व कहते हैं। व्यक्तित्व एक आंतरिक प्रक्रिया है, जिसे
व्यक्ति के कार्य
व्यवहार से ही समझा या अनुभव किया जा सकता है। जब रचनाकार अपने गहन बोध को संसार के सामने ठोस रूप देना चाहता है तो उसे सृजन करना पड़ता है। जिसे उसकी कृति कहा
जाता है। रचनाकार की कृति या सृजन उसके व्यक्तित्व का बाह्य प्रकटीकरण है। केदारनाथ
अग्रवाल का स्वयं
के बारे में
अभिमत है-
हम लेखक
हैं कथाकार है
हम जीवन के भाष्यकार हैं
हम कवि हैं जनवादी।
चांद, सूर, तुलसी, कबीर के
संतों के हरिचंद वीर के
हम वंशज बड़भागी।1
मनोवैज्ञानिक
परविन का कथन है
कि “व्यक्तित्व किसी व्यक्ति या
व्यक्तियों के उन रचनात्मक एवं गत्यात्मक
गुणों का प्रतिनिधित्व
करता है, जो किसी परिस्थिति के प्रति विशिष्ट प्रतिक्रियाओं द्वारा परिलक्षित होते हैं।”2
परविन द्वारा व्यक्तित्व की दी गई मनोवैज्ञानिक परिभाषा व्यक्तित्व के दो पक्षों को उभारती है। प्रथम रचनात्मक अर्थात आंतरिक प्रक्रिया और दूसरा गत्यात्मक आर्थात
सृजनात्मक। केदारनाथ अग्रवाल जिस
प्रकार अपने को चांद, सूर, तुलसी, कबीर, हरिश्चंद्र तथा खुद को जनवादी
लेखक और भाष्कार
बता कर जिस वंश
परंपरा से खुद को
जोड़ते हैं, वह
है- भारत की लोक
संवेदना की
परंपरा। जो कवि, लेखक, कलाकार,
नेता, अभिनेता
आदि इस परंपरा को
छू पाता है, वही भारतीय मानस का नायक
बन जाता है। इस लोक संवेदना की परंपरा को हम कला के विभिन्न क्षेत्रों में भी देख सकते हैं। हिंदी साहित्य के
प्रगतिशील
त्रयी कवियों में प्रशंसनीय
कवि केदारनाथ अग्रवाल में लोक जीवन की महक
मौजूद है। उनकी रचनाओं में लोक परंपरा की संवेदना अपने जनपदीय चमक के साथ विद्यमान है। अत: कवि के जीवन और रचना में
‘लोकधर्मी संवेदना’ पर विचार
करने से पूर्व उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की परख कर लेना समीचीन होगा। ..........जारी है।