आज बहुत दिनों के बाद

आज बहुत दिनों के बाद

रविवार को बैठा हँ अपने क्वार्टर के बाहर,

दुनिया से अकेला एक ऐसे बिहड़ जगह पर

जहां कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं आता,

दूर दराज तक जंगल ही जंगल है,

संपर्क का लैंडलाइन का सहारा है,

बस बीएसएनल भाई का सहारा है,

न जीवो न एअरटेल, न कोई और नेटवर्क

सारे सिम बेकार पड़े बंद हो गए।

कोई कूरियर सर्विस नहीं,

बस पोस्ट ऑफिस का सहारा है,

इस मनोरम जंगल में शहर से दूर

सरकारी सेवा का आनंद ही अनोखा है,

बस रिटायरमेंट के बाद,

पेंशन का न होना ही बहुत बड़ा धोखा है।

देख कर लोगों का भविष्य और अपना

मन में डर सा लगता है,

निजीकरण की यह फायदेमंद भूख

क्या जनता के साथ धोखा है।

आसियाना


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