संदेश

श्रिजीको बधाइयां

आप को बहुत बहुत बधाई कि आप लोगो की सहायता करते हैं

कविता के बहाने

कविता एक उड़ान है चिड़ियों के बहाने कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने बाहर भीतर इस घर , उस घर कविता के पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने? कविता एक खिलना है फूलों के बहाने कविता का खिलना भला फूल क्या जाने! बाहर भीतर इस घर, उस घर बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने? कविता एक खेल है बच्चों के बहाने बाहर भीतर यह घर, वह घर सब घर एक कर देने के माने बच्चा ही जाने. कुँवर नारायण वियोगी होगा पहला कवि आह से लिकला होगा गान. उमड़कर आँखों से चुप चाप बही होगी कविता अनजान..

कहता है मन

कुछ करने को कहता है मन पर समय का अभाव और दुनियादारी से पीछा कैसे छुड़ाना है , उसी को सोच रहा हूँ लिखने को तो लाखों प्रसंग अभी भी अनछुए पड़े है उस पर लेखनी चलनी है श्री जैन जी से मुलाकात का विवरण भी देना है.

तलाश

हम हैं तलाश में किसी औजार के, जो हारे हुए को विजयी बनाता हो , दिखाता हो सबको अपना चेहरा, उसे असली चेहरे की पहचान करता हो, है कोई जो ऊपर है स्वार्थों की दीवार से क्या इसी में पीसते रहोगे प्यारे. बोलो है कोई औजार जो स्वपनों को, साकार करता है .. आप का दोस्त.

वर्तनी संशोधक

हमें समझ में नहीं आ रहा है कि हमारे ब्लॉग में वर्तनी संशोधक क्यों नहीं दिखाई दे रहा है। नमस्कार दोस्तों मेहनत का फल मिल गया यौं ही खोजते खोजते सब कुछ मिल गया। कौन कहता है कि खेल खेलता है वो, हमने है खेला जितने के लिया.

श्रीमान वृजेश शर्मा

छन्द सामने जो है, उसे लोग बुरा कहते हैं. जिसको देखा ही नहीं उसको खुदा कहते है. देखना दिल की सदाईं तो नहीं , ऐसी खामोसी में खोया कौन है. ऐ दोस्तों आप ही फरमाओ, हम बुरे तो इस जग में अच्छा कौन है.

आम जन की आवाज़

एक ओर देश भक्तों की कतार है एक ओर गद्दारों की जमात है एक ओर बाबा रामदेव है एक ओर अंग्रेजी सेवक बाबू एक ओर सर्वधर्म शादीवाले एक ओर हर प्रकार से बाटने वाले एक ओर ब्राहम्ण ही प्रतिभा का अधिष्ठाता बना है एक ओर अंग्रेजी है योग्यता और प्रतिभा का मापदण्ड एक ओर धन की तूती बोलती है, देवता विकते हैं एक ओर कालों में क्रीमी कालों की श्रेष्ठता किसी न किसी से श्रेष्ठता रखना फितरत बन गई है इस देश का क्या कहना मन में कपट बगल में राम-अल्लाह-ईसा रखना इस देश का क्या कहना राष्ट्रगान का अर्थ न जाना जन भाषा का विरोध करना अंग्रेजी की जूती सहना इस देश का क्या कहना सब धर्मों की बातें कहना जाति-पाति को आगे लाना चापलूसी गद्दारी करना हिन्दू बनना, ब्राहम्ण होना सही को सही कभी न कहना योग्यता का तमगा पहने रहना जन कल्याण की बातें आए उसमें रोड़ा बन कर अड़ना ब्राहम्ण होना, हिन्दू होना अंग्रेजी की पूजा करना अन्धविश्वास, भाग्यवाद,शोषण को तर्क से सही बताना न्यायधिश, वैज्ञानिक बनकर,घूस खना ऊँचा बन जाना इस देश का क्या कहना हे मूरख यह पहचानों जनता की प्रगति के लिए वैज्ञानिक दृष्टि आवश्यक है राष्ट्रभाषा में शिक्षा होना, विश्वभा