कहानी आप की
मन कहता है मै भी कहानी लिखूं, मगर क्यों बार-बार मन पीछे हो जाता है, शायद देख कर कल की संसदीय कार्यवाही, दिल छोटा हो जाता है। अपनों ने किया अपनों पर आघात न जानें क्यों, शायद रूपया अब भावनावों और नियमों से बलवान हो गया है, पूरा शहर और गांव देख रहा था, निर्लज्जता बलवान हो रही, टूट जा रहा है विश्वास , क्योंकि पैसा भगवान होता जा रहा है।