कहानी आप की
मन कहता है मै भी कहानी लिखूं,
मगर क्यों बार-बार मन पीछे हो जाता है,
शायद देख कर कल की संसदीय कार्यवाही,
दिल छोटा हो जाता है।
अपनों ने किया अपनों पर आघात न जानें क्यों,
शायद रूपया अब भावनावों और नियमों से बलवान हो गया है,
पूरा शहर और गांव देख रहा था, निर्लज्जता बलवान हो रही,
टूट जा रहा है विश्वास , क्योंकि पैसा भगवान होता जा रहा है।
मगर क्यों बार-बार मन पीछे हो जाता है,
शायद देख कर कल की संसदीय कार्यवाही,
दिल छोटा हो जाता है।
अपनों ने किया अपनों पर आघात न जानें क्यों,
शायद रूपया अब भावनावों और नियमों से बलवान हो गया है,
पूरा शहर और गांव देख रहा था, निर्लज्जता बलवान हो रही,
टूट जा रहा है विश्वास , क्योंकि पैसा भगवान होता जा रहा है।
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